बात उस समय की है जब सीता माता को रावण लंका उठाकर ले गया तो उनको भगवान राम की तरफ से संदेश देने के लिए और उनका हालचाल पूछने के लिए हनुमान जी ने पर्वत से छलांग लगाई और समंदर के रास्ते होते हुए लंका जाने लगे, समंदर के रास्ते होते हुए लंका जाने लगे उनका सामना सुरसा से हुआ ।
सुरसा ने कहा में तुम्हे खाऊंगी हनुमान जी ने कहा सीता मैया से मिलकर आते वक्त जो तुम्हारी इच्छा हो कर लेना में वचन देता हूं, सुरसा ने कहा नही अभी खाऊँगी ओर सुरसा ने एक योजन का मुंह खोला मतलब 8 मील मुंह खोला जैसे उसने खोला हनुमान जी 2 योजन के हो गए ऐसा करते हुए सुरसा ने 64 योजन का मुंह खोल दिया तब हनुमान जी 2 योजन का हो कर तुरंत मुह में जाकर वापस आ गए।
इस घटना से ये सीख मिलती है जब बल दिखाने का समय आये तब हनुमान जी जैसे बड़े हो जाना चाहिए लेकिन जब बुद्धि दिखाने का समय आये तब छोटा भी हो जाना चाहिए।