परोपकार से ही जीवन सफल होता है

नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आपका स्वागत है आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वह बहुत ही प्रेरणादायक कहानी तो चलिए शुरू करते हैं-


एक समय की बात है – एक गुरु और शिष्य सुबह-सुबह टहलने निकले चलते चलते उन्हें रास्ते में एक दरिद्र दिखता है वह उन्हें देखते हैं शिष्य को उस दरिद्र पर दया आ जाते हैं उसे सौ अशर्फियां देता है कि उससे उसका जीवन थोड़े अच्छे से कट जाएगा, गुरु उसे देखकर मुस्कुराते हैं और चलते हुए अपने आश्रम की ओर चले जाते हैं अब इधर जिस दरिद्र को शिष्य सोने की अशर्फियां देता है वह सपने देखने लगता है कि, इन पेसो से घर बनाएगा, ओर आराम से जिंदगी जियेगा, लेकिन रास्ते में एक चोर उस अशरफी ओं से भरी थैली चुरा लेता है और वहां से भाग जाता है तब वह दरिद्र अपने भाग्य को कोसता हुआ अपने घर चला जाता है।


दूसरे दिन फिर गुरु और शिष्य टहलते हैं और फिर वह दरिद्र वहीं पर रास्ते में भीख मांगता हुआ उन्हें दिखता है अब शिष्य से रहा नहीं गया उसने अपने गुरु से कहा गुरुदेव कल ही इसे मैंने सोने की अशर्फियां दी थी लेकिन आज या फिर यहीं पर भीख मांग रहा है , वह दरिद्र उन्हें सारी घटना सुनाई शिष्य को फिर दया आ जाती है वह उसे आज एक मनका दे देता है , मनका वह दरिद्र अपने घर ले जाता है और अपनी धर्म पत्नी को खुश करने के लिए उसे पानी भरने के लिए खड़े में छुपा देता है यह सोचकर कल उसकी पत्नी जब पानी लेने जाएगी तो वह घड़े में मनके को देखकर खुश हो जाएगी सुबह होती है उतनी उसमें को लेकर पानी भरने जाती है लेकिन किसी कारणवश वह मन का पानी में गिर जाता है पत्नी घड़े में जल भरकर ले आती है वह दरिद्र पत्नी से कहता है तुमने घड़े में कुछ देखा वह अनजान बनती है फिर से वह अपने भाग्य को कोसता है और वह सोचता है कि किस्मत में दरिद्रता ही लिखी है यह सोचकर वह वापस भीख मांगने चला जाता है दूसरे दिन गुरु और शिष्य फिर से टहलने आते हैं और फिर से वह गरीब भिखारी उन्हें वहां दिखता है शिष्य गुस्सा करता है और उसे कुछ नहीं देता लेकिन यह देखकर गुरु मुस्कुराते हैं और उसे एक सिक्का दे देते हैं।


यह देखकर वह दरिद्र सोचता है कि इतना बड़ा ब्राह्मण और सिर्फ एक सिक्का दिया खैर कोई बात नहीं वहां से चला जाता है रास्ते में चलते चलते उसे सामने से एक मछुआरा आते हुए दिखता है उस मछुआरे के जाल में एक मछली बची हुई होती है वह दरिद्र सोचता है कि चलो इस मछली को मुक्त कर जीवन दिया जाए, वह मछुआरे को सिक्का देता है और वह मछली लेकर उसे उसके लोटे में ले लेता है यह सोच कर कि उसे पानी में छोड़ देगा और जीवन दान देगा लोटे में आते ही वह मनका निकाल देंती है, वह लोटे में देखता है तो कहता है मिल गया मिल गया इत्तेफाक से वह चोर जिसने अशरफिया चोरी थी वह भी सामने से आता रहता है वह इस गरीब की बात सुनकर उसके पास आता है और सारी अशरफिया दे देता है और कहता है किसी को मत बताना मैं जा रहा हूं और इस तरह उसे वह मनका भी मिल जाता है और उसके पैसे भी मिल जाते हैं यह सारा वृत्तांत गुरु और शिष्य दूर खड़े होकर देखते रहते हैं ।
शिष्य गुरु से पूछता है गुरु जी यह क्या हो रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आया तब गुरु कहते हैं वत्स तुमने जितनी बार भी इसे दान दिया है यह खुद के बारे में सोच रहा था लेकिन जब मैंने इसे दान दिया यह दूसरे के बारे में सोच रहे हैं यदि हम दूसरे का भला करेंगे तो हमारा भला खुद ही हो जाएगा दोस्तो यह कहानी कैसी लगी जरूर बताइए।

Updated: August 31, 2021 — 5:00 am

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