नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे ब्लॉक पर आपने गुरु और शिष्य की कई कहानियां सुनी होंगी लेकिन आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वह कहानी बहुत ही ज्ञानवर्धक है बहुत पुराने समय की बात है हुआ करते थे जो कि गरीब एवं अमित दोनों तरह के शिष्यों को अपनी शिक्षा प्रदान किया करते थे
वह अपने शिक्षकों को स्वावलंबी बन्ना सिखाते थे कृषि करना सिखाते थे एवं एक सब्जी इंसान बनने का फर्क पाठ पढ़ाते थे कई दिन बीत गए एक दिन भगवान इंद्र किसी कारणवश हो गए जिससे कि पृथ्वी पर घनघोर बारिश हुई बहुत अधिक वर्षा हुई ग्रुप को अपने खेतों में जो फसल उगाई थी उसकी चिंता सताने लगी है कि यदि ऐसे ही बरसात होती रही तो सारी फसल नष्ट हो जाएगी तभी उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और अपना यह चिंता का विषय था या बताया उनमें से एक शिक्षित आरुणि उसने गुरु से कहा गुरु स्थिति में हमें क्या करना चाहिए वहां पर सभी मौन थे ग्रुप समझ गए कि इस विषय में कोई भी खुशी नहीं ले रहा लेकिन अरुण पूछो गुरु जी हम क्या कर सकते हैं तभी गुरु ने कहा कि इस बरसात से हमारे खेतों में पानी भर जाएगा यह करना है कि हमें खेत में पानी नहीं देना है तब बिना देखे खेत खेत कीऔर प्रस्थान कर दिया ।
खेत में जाकर आरुणि क्या देखता है कि खेत की एक मिनट पानी में दरार बना ली है और पानी में बढ़ता जा रहा है तभी अरुण ने अपने सभी प्रयासों से वहां पर मत डाल कर देख लिया और भी अलग-अलग प्रयास किया लेकिन फिर भी वह पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था और उसने सोचा कि यदि इस तरह को भरा जाएगा तो खेतों में पानी भर जाएगा
तभी आरुणि ने बिना कुछ सोचे समझे वहां पर खुद जमने का सोचा मतलब यह कि दरार की जगह आरुणि लेट गया देखते ही देखते सुबह हो गई बारिश बंद हो गई थी।
तभी गुरु अपने शिष्यों के साथ खेत में पहुंचे और वहां का नजारा देखकर स्तब्ध रह गए उन्होंने अरुण को उठाया और गले से लगाया गुरु ने ग्रुप की आज तक नहीं देखी थी इसलिए उन्होंने अपने मुख्य अतिथि के तौर पर रख लिया एवं उसे हर प्रकार की शिक्षा देकर एक अच्छा चित्र बनाया जो कि काफी चित्र इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि गुरु हमारे भगवान समाने हमें गुरु की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए एवं गुरु का दिल दुखाना नहीं चाहिए।